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9 Apr 2024 · 2 min read

पराया हुआ मायका

उसके हाथ से था वो बनाया हुआ मायका
उसकी ही चहक से चहचहाया हुआ मायका
फिर एक दिन पिया के संग हो विदा चली गई
एक पल में अपना से पराया हुआ मायका

वो मायका जहां जनम उसको दिया था मात ने
दुलारा था हरदम जहां था दादा – दादी तात ने
वो मायका जहां पे वो पली-बढ़ी जवां हुई
खट्टी-मीठी यादों से पलभर में ही जुदा हुई
बचपन से जवानी तलक बिताया हुआ मायका
एक पल में अपना से पराया हुआ मायका

सखियों और सहेलियों के संग खेली थी जहां
दीवाली- पटाखे होली के रंग खेली थी जहां
खुशियां थी बिखेरती परिवार की हंसी थी वो
घर के कोने-कोने में गहराई तक बसी थी वो
उसके होने से सबल कराया हुआ मायका
एक पल में अपना से पराया हुआ मायका

भाईयों-बहनो के संग बेबाकियों का दौर था
तनाव,गम,दुखों का कहीं दूर तक न ठौर था
आते थे रिश्तेदार सब,और थे बुलाते सभी
भाते जो मन को सदा थे रिश्ते व नाते सभी
मन से सारे रिश्तों को निभाया हुआ मायका
एक पल में अपना से पराया हुआ मायका

आज जब चली तो जैसे रोने पूरा घर लगा
हो गई व्यथित जमीं और कांपने अंबर लगा
कल तलक करते थे जो झगडे़ सभी रोने लगे
आंगन भी लगा रोने और कमरे सभी रोने लगे
रुखसती पे लग रहा दुखाया हुआ मायका
एक पल में अपना से पराया हुआ मायका

शायद न बुना जाएगा पहले सा ताना-बाना अब
जा रही ससुराल है वो जाने होगा आना कब
ताकती हर मुंह है वो बेजुबानों की तरह
आ भी पाएगी तो अब मेहमानों की तरह
शादी की डोर के लिए गंवाया हुआ मायका
एक पल में अपना से पराया हुआ मायका

विक्रम कुमार
मनोरा , वैशाली

1 Like · 624 Views
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