वह कहां शिखर पाएगा
बह रहा जो श्रम नदी में ,
उसका किनारा आएगा |
निकला ही नहीं घर से ,
वह कहां शिखर पाएगा ||
कर्म प्रधान की भूमि रे
स्थान कहां यहां पाएगा |
आएगा जीवन में पल
रह कर चला जाएगा ||
कुछ ऐसा कर जाएगा
नाम जगत दौहराएगा |
वह शख्स दुनिया में
सदा अमर हो जाएगा ||
जीवन रूपी पतंग है
उड़ान अनंत पाएगा |
आसमान में उड़ने वाले
धरती पर तो आएगा ||
किस पर यूं गुमान करें
सब धरा रह जाएगा,
सत्कर्म व्यवहार भक्ति
यह ही साथ जाएगा.. |
मनुष्य का जीवन प्यारे
बार-बार नहीं पाएगा ||
कवि दीपक Saral