Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2024 · 2 min read

*वह अनाथ चिड़िया*

वह अनाथ चिड़िया!_____________________
हाड़ कंपाती पूस की ठंढ़, सिर से पाँव ढंके तन , सूरज की हल्की लाली संग मैं बाहर घर से निकली थी। काँटों की झुरमुट से क्रंदन नन्ही-सी चिड़िया की आई। मैं धीरे-धीरे कदमों से उसे ढूँढती वहाँ पहुंच गयी। थोड़ी देर ठिठक कर, मैनें विस्मित देखा चारो ओर शायद कोई बला पड़ी हो एक भले परिवार पर या बिछड़ गयी हो नन्ही जान अपनी प्यारी जाई से।
लेकिन मेरी आहट से वह थोड़ी और सहम गयी। धीरे-धीरे क्रन्दन उसकी सिसकीयों में ढल गयी। सह उपेक्षा की ज्वाला तन में ले अनगिनत पीड़ धरती के आँचल में लिपटी अम्बर की चादर ओढ़े रेत कंटीली सेज पर वह निपट अकेली सारी रात बितायी थी।जग सोया था तब रोई थी , लेकिन भोर की लाली से उसकी काया घबराई थी।
गूँथ रही थी सांसे उसकी वर्णमाला चिंगारी की। मानो! कहीं भली थी रात काली डरे हुए थे रावण सारे,क्यों छेड़े दिवाकर दर्प दिखा कर, तारों का परिहास न काफ़ी? आंच कर मैनें उसकी अनकही व्यथा भी चाहा स्पर्श उसका दया भाव दर्शा कर, सोंचा! वह सहज़ हो जाएगी, मेरी ममता पा कर। लेकिन मारे क्रोध के तन कांप उठा था उसका, जैसे वेग पवन से सोता सागर तिलमिला कर जाग उठा हो। निश्छल आँखो से बहती अश्रु की धार, मारे रोष लगा दहकने बन आँगार। मुख लाल किये, वह काली बोधित हो कर, मुझे मेरी हद बतलाई थी।

बोली, मैं केवल मर्त्य शरीर नहीं, दिव्य प्रकाश से परिपूर्ण सनातन सत्ता का प्रतिक! लेकिन,धरती के लज्जाहिन समाज का शायद एक शापमय वर, मैं एक कर्ण-कबीर हूँ! शून्य मेरा जन्म; मृत्यु है मेरा सवेरा, प्राण आकुल भाग्य को साथ मिला अन्धेरा! मचली थी मैं भी कोख में, बाबुल के आँगन आने को, अपनी मधुर किलकारी से उनकी बगिया उजियाने को, पर देखो! बिखरी माला किस्मत की ! कचरा बन कर मिट रही है पाप किसी दुष्कर्मी की!लौट गयी है निशा की काली, उषाएँ लौट जायेंगी, हम प्रकृति में रहेंगे, साश्वत सत्य है यही । नहीं प्रतीक्षा मुझे किसी की न कोई आस उजालों से, जन्म दे कर वो अरिदल हो गये आस करुँ क्या दानव के दरबारों से? मैं भी पल कर जैसे- तैसे काली-दुर्गा बन जाऊंगी या खा जायेंगे चील-कौवे मुझको नोच- खसोट कर। युग-युग तक चर्चा होगी मेरी, लोग कहानी खूब गढेंगे, खूब बिकेगी अखबारों में व्यथा मेरे अपमान की।

अगर बची जिंदा तो लिखुंगी मैं भी एक कहानी

त्रिदेव तेरे संसार में अनाथों के बलिदान की।

मुक्ता रश्मि
मुजफ्फरपुर, बिहार
———————————————

Language: Hindi
113 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mukta Rashmi
View all
You may also like:
पृष्ठ- पृष्ठ पर प्यार के,
पृष्ठ- पृष्ठ पर प्यार के,
sushil sarna
पढ़ रहा हूँ
पढ़ रहा हूँ
इशरत हिदायत ख़ान
आत्मविश्वास से लबरेज व्यक्ति के लिए आकाश की ऊंचाई नापना भी उ
आत्मविश्वास से लबरेज व्यक्ति के लिए आकाश की ऊंचाई नापना भी उ
Paras Nath Jha
गुलाम
गुलाम
Punam Pande
7) “आओ मिल कर दीप जलाएँ”
7) “आओ मिल कर दीप जलाएँ”
Sapna Arora
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
लहज़ा तेरी नफरत का मुझे सता रहा है,
लहज़ा तेरी नफरत का मुझे सता रहा है,
Ravi Betulwala
तेरी याद
तेरी याद
SURYA PRAKASH SHARMA
सफ़र जिंदगी के.....!
सफ़र जिंदगी के.....!
VEDANTA PATEL
अच्छा बोलने से अगर अच्छा होता,
अच्छा बोलने से अगर अच्छा होता,
Manoj Mahato
दिल पर करती वार
दिल पर करती वार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
4284.💐 *पूर्णिका* 💐
4284.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
चांद सूरज भी अपने उजालों पर ख़ूब इतराते हैं,
चांद सूरज भी अपने उजालों पर ख़ूब इतराते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बाल कविता: नानी की बिल्ली
बाल कविता: नानी की बिल्ली
Rajesh Kumar Arjun
खोया है हरेक इंसान
खोया है हरेक इंसान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
हरित - वसुंधरा।
हरित - वसुंधरा।
Anil Mishra Prahari
" क्यों यकीन नहीं?"
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्तक... हंसगति छन्द
मुक्तक... हंसगति छन्द
डॉ.सीमा अग्रवाल
नफसा नफसी का ये आलम है अभी से
नफसा नफसी का ये आलम है अभी से
shabina. Naaz
।।
।।
*प्रणय*
भारत को निपुण बनाओ
भारत को निपुण बनाओ
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
आपसा हम जो दिल
आपसा हम जो दिल
Dr fauzia Naseem shad
जब दिल टूटता है
जब दिल टूटता है
VINOD CHAUHAN
भावात्मक
भावात्मक
Surya Barman
2
2
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
“मित्रताक स्वागत”
“मित्रताक स्वागत”
DrLakshman Jha Parimal
*दर्पण (बाल कविता)*
*दर्पण (बाल कविता)*
Ravi Prakash
शीर्षक:-कृपालु सदा पुरुषोत्तम राम।
शीर्षक:-कृपालु सदा पुरुषोत्तम राम।
Pratibha Pandey
चिंता दर्द कम नहीं करती, सुकून जरूर छीन लेती है ।
चिंता दर्द कम नहीं करती, सुकून जरूर छीन लेती है ।
पूर्वार्थ
नक़ली असली चेहरा
नक़ली असली चेहरा
Dr. Rajeev Jain
Loading...