वही लड़कियाँ
वही लड़कियाँ,
केवल वही लड़कियाँ,
जो देखती हैं खिड़कियाँ खोल कर खुले आसमान को,
झाँकती नही हैं दरवाज़ों की दरारों से,
केवल वही लड़कियाँ,
जिन्हें आता है,प्रश्न करना,ऊँगली उठाना,
घबराती नही है जो दलीलों,तकरारों से,
केवल वही लड़कियाँ
जिन्हें पता है फ़र्क़ मूढ़ता और संस्कारों में,
जो डरतीं नही भीड़ से, बाज़ारों से,
केवल वही लड़कियाँ
जिन्हें चाहिए अपने हिस्से की बारिश,
जो नही करती समझौता चंद फुहारों से
केवल वही लड़कियाँ
जो आरंभ करती है अपना ही अध्याय,
जो नही रखती कोई जुड़ाव इतिहासकारों से,
केवल वही लड़कियाँ,
जो तोड़ती हैं वर्जनाएँ,बंधनों को,
जो नही रखतीं ख़ुद को नियमों के दायरों में,
केवल वही लड़कियाँ,
जो देखतीं हैं प्रश्नचिन्ह हर पूर्णविराम से पहले
जो नही बंद होती प्राचीन घेरों और विचारों में,
केवल वही लड़कियाँ,
बदलेंगी परिपाटी को,और बनायेंगीं नयी राह,
आने वाली उन जैसी लड़कियों के लिए,
केवल वही लड़कियाँ…..