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19 Oct 2017 · 2 min read

“वस्तु चीन की मत अपनाना “

वस्तु चीन की मत अपनाना
मात्रा संख्या -30
समान्त -आना
पदान्त -अबकी बार दिवाली में
वस्तु चीन की मत अपनाना अबकी बार दिवाली में।
मिट्टी के तुम दीप जलाना अबकी बार दिवाली में।

प्रेम भाव रखना मन में नफरतें ना किसी दिल में हो।
बैर भाव और अहम मिटाना अबकी बार दिवाली में।

तेज पटाखे नहीं फोड़ना प्रकृति का तुम रखना ध्यान।
फुलझड़ियो से काम चलाना अबकी बार दिवाली में।

जानें अनजाने में सबसे भूलचूक हुई हो जो भी।
कड़वाहटें दिल से भुलाना अबकी बार दिवाली में।

जाति पांति और ऊंच नीच एेैसे भाव ना मन में हो।
सब इंसानियत ही दिखाना अबकी बार दिवाली में।

दरमियां मत हो फासले इस बात का तुम रखना ध्यान।
दूरियां तुम सारी मिटाना अबकी बार दिवाली में।

चमक दमक औ धूम धड़ाक से बच्चों को रखना दूर।
कपड़े सूती ही पहनाना अबकी बार दिवाली में।

मात पिता की आस हो तुम उन सबका तुम रखना ध्यान।
कसमें वादें सभी निभाना अबकी बार दिवाली में।

शिकवे गिले हो जो भी मन में उन सारो को भूलकर।
रूठे हुए जो उन्हें मनाना अबकी बार दिवाली में।

हिन्दू मुस्लिम सिख और ईसाई की भावना त्यागकर।
मानवता की अलख जगाना अबकी बार दिवाली में।

तेरा मेरा इसका उसका इन भाव को छोड़ देना।
भाईचारे को अपनाना अबकी बार दिवाली में।

ऊंच नीच अमीर गरीब के भावों से ऊपर उठकर।
समानता का सबक सिखाना अबकी बार दिवाली में।

भाई भाभी चाचा चाची आपस में सब मिलकर के।
खुशियों के सभी गीत गाना अबकी बार दिवाली में।

ईर्ष्या द्वेष छल कपट और झूठ रंज में क्या रखा हैं।
सच्चाई का पाठ पढ़ाना अबकी बार दिवाली में।

कुछ कारणवश खट्टापन हो मन में किसी के यारों।
मिठ्ठी मिसरी खूब खिलाना अबकी बार दिवाली में।

गर्व से जीना बुरा नहीं फिर भी जरा सभी देखना।
अति अहम से खुद को बचाना अबकी बार दिवाली में।

काज न कोई एेसा करना मात पिता की शान घटे।
मात पिता का मान बढ़ाना अबकी बार दिवाली मे।

स्वरचित
रामप्रसाद लिल्हारे “मीना ”
चिखला बालाघाट (म.प्र)

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