वसुत्व जिन्दा है
जिसका वसुत्व जिन्दा है
वही जिन्दा रहता है ।
प्रकृति और पुरुष का जोड़ा
जीवन का सच्चा होता है।
आक्षेपो की दुनिया में
कौन किसका होता है।
कितने भी लांछन लगे
सहन ही जीवन होता है।
वो वसुत्व किस काम का
जो सहधर्मिणी विश्वास नहीं होता ।
वो धरा धन्य किस काम की
जो सहधर्मी विश्वास नहीं होता ।
अरे ……….
जिसका वसुत्व जिन्दा है
वही जिन्दा रहता है।
सद्कवि प्रेमदास वसु सुरेखा