वसंत वसंती
माँ सरस्वती की
कर वंदना
करूँ वसंत का
गुणगान
शिक्षा दीक्षा
की है देवी
माँ सरस्वती
समर्पित है
सादर सुमन
गूंजे ढोल मृदंग
गीत गाते सुमधुर
दिखे वसंती रंग
हर जगह
वसंत वसंती
हुआ जग सारा
कामदेव का
फैला माया जाल
शंकर का खुला
तीसरा नेत्र
मिला वरदान
जग हुआ
वसंत वसंती
रहो जीवन में
खुशहाल
महके हर पल
वसंत वसंती
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल