वर्षा ऋतु में प्रेमिका की वेदना
जब जब ये बादल बरसे,
ये नैना तेरे लिए है तरसे।
जब जब ये बिजली चमकी,
मेरी माथे की बिंदिया दमकी।
कैसे भुलाऊं साजन मै तुमको,
मिलने को आ जाओ मुझको।।
जब जब ये वर्षा ऋतु है आई,
तेरी यादों ने मुझे खूब सताई।
जब जब ये बादल खूब गरजे,
हर बार ये मेरा दिल है तड़पे।
अब देर करो न तुम साजन,
मिलने को आ जाओ साजन।।
जब जब ये प्यारा सावन आया,
मेरा तन मन सब कुछ हर्षाया।
झूले पड़ गए है सब बागो में,
गीत गा रहे सब अपने रागों में।
अब तो साजन तुम आ जाओ,
झोटे देकर तुम मुझे झुलाओ।।
जब जब पनघट पर में जाऊं,
ये पायल की धुन किसे सुनाऊं।
कैसे बीते पतझड़ ये सावन के
करो इशारा तुम अपने आवन के।
अब तो साजन तुम आ जाओ,
मेरे तन की प्यास बुझा जाओ।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम