वर्षा ऋतु का अभिनन्दन —-आर के रस्तोगी
वर्षा ऋतु का अभिनन्दन
करते है वर्ष ऋतु का अभिनन्दन ,
सावन है इसका प्यारा सा नंदन |
इसके आते ही हरियाली छा जाती ,
सारे भूमंडल की प्यास बुझ जाती |
मिल जाता है पेड़ पौधों को जीवन ,
खश्बू देने लगते है सारे उपवन |
बना देती है सारी मिट्टी को चन्दन ,
करते है वर्षा ऋतु का अभिनन्दन |
सावन में घर घर झूले पड जाते,
सखी सहेली सब संग झूलने जाते |
कोयल भी बागो में कू कू करती ,
मीठी वाणी से सबको हर लेती |
प्रीतम की सबको याद दिलाती ,
कहती है पर कुछ न कर पाती |
कर देती है वह सबका मनोरंजन ,
करते है वर्षा ऋतु का अभिनन्दन |
बादल भी उमड़ घुमड़ कर आते ,
अपनी गर्जन से सबको डराते |
कभी काले कभी धोले हो जाते
अपनी धूम गगन में जमाते
बिजली भी कडक कर आती
अपना रोब सब पर जमाती |
करते है कितना सब क्रन्दन ,
करते है वर्षा ऋतु का अभिनन्दन |
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम मो 9971006425