Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2023 · 1 min read

वर्तमान

समय चक्र है दौड़ रहा
पकड़े अपनी रफ्तार
अतीत में क्यों बांधे स्वयं को
धुंधला साया कुछ मीठी यादें
बीत गए जो अनुभव बन
जीवन दिशा को दे आधार
पकड़ लो वर्तमान की तार
बदलते युग नये परिवेश में
आधुनिकता के इस दौर में
ऊंचे सपने नभ तक उड़ान
कठिन संघर्ष नहीं विश्राम
नव योजना सफल विचार
जीवन पथ बना संग्राम
वर्तमान की यही पहचान ।

नेहा
खैरथल अलवर (राजस्थान)

Language: Hindi
237 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Neha
View all
You may also like:
'डोरिस लेसिगं' (घर से नोबेल तक)
'डोरिस लेसिगं' (घर से नोबेल तक)
Indu Singh
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
"आए हैं ऋतुराज"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
3555.💐 *पूर्णिका* 💐
3555.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सियासत नहीं रही अब शरीफों का काम ।
सियासत नहीं रही अब शरीफों का काम ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
मैं क्यों याद करूँ उनको
मैं क्यों याद करूँ उनको
gurudeenverma198
আজকের মানুষ
আজকের মানুষ
Ahtesham Ahmad
इंसान अपनी ही आदतों का गुलाम है।
इंसान अपनी ही आदतों का गुलाम है।
Sangeeta Beniwal
पृथ्वी दिवस पर
पृथ्वी दिवस पर
Mohan Pandey
प्रयास जारी रखें
प्रयास जारी रखें
Mahender Singh
एहसास
एहसास
भरत कुमार सोलंकी
जिंदगी में संतुलन खुद की कमियों को समझने से बना रहता है,
जिंदगी में संतुलन खुद की कमियों को समझने से बना रहता है,
Seema gupta,Alwar
बदला सा व्यवहार
बदला सा व्यवहार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
जीवन है अलग अलग हालत, रिश्ते, में डालेगा और वही अलग अलग हालत
जीवन है अलग अलग हालत, रिश्ते, में डालेगा और वही अलग अलग हालत
पूर्वार्थ
विभीषण का दुःख
विभीषण का दुःख
Dr MusafiR BaithA
इसरो के हर दक्ष का,
इसरो के हर दक्ष का,
Rashmi Sanjay
हमसे ये ना पूछो कितनो से दिल लगाया है,
हमसे ये ना पूछो कितनो से दिल लगाया है,
Ravi Betulwala
दिल से हमको
दिल से हमको
Dr fauzia Naseem shad
*यदि चित्त शिवजी में एकाग्र नहीं है तो कर्म करने से भी क्या
*यदि चित्त शिवजी में एकाग्र नहीं है तो कर्म करने से भी क्या
Shashi kala vyas
चयन
चयन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
संस्मरण:भगवान स्वरूप सक्सेना
संस्मरण:भगवान स्वरूप सक्सेना "मुसाफिर"
Ravi Prakash
बचपन के वो दिन कितने सुहाने लगते है
बचपन के वो दिन कितने सुहाने लगते है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
चुनावी साल में
चुनावी साल में
*प्रणय प्रभात*
* ऋतुराज *
* ऋतुराज *
surenderpal vaidya
भूलना..
भूलना..
हिमांशु Kulshrestha
"विस्मृति"
Dr. Kishan tandon kranti
क्यूँ इतना झूठ बोलते हैं लोग
क्यूँ इतना झूठ बोलते हैं लोग
shabina. Naaz
!! सुविचार !!
!! सुविचार !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
बातों - बातों में छिड़ी,
बातों - बातों में छिड़ी,
sushil sarna
"माँ की छवि"
Ekta chitrangini
Loading...