वर्तमान में जीता हूँ मैं
जिदगी को जीओ तो वर्तमान में
क्या रखा है भूत और भविष्य काल में
भूत को याद करोगे तो पछताना पड़ेगा
भविष्य किस ने देखा क्या समझाना पड़ेगा ?
आज और अभी सब अपने हाथ में है खुशिओं
का समां है, चिंता को करना शमशान है !!
कल को भूकंप आ गया तो क्या करोगे
आज का खाया पिया तभी तो कुछ करोगे
चिंता में डूबोगे तो डॉक्टर के पास चलोगे
कल क्या होगा सोचोगे तो भी जल्द मरोगे !!
खुश रहकर जिन्दगी गुजारते चलो
हंसते रहो और औरों को हंसाते चलो
खून तो हंसने से ही बढ़ जाएगा
बेकार अपने दिल का बोझ उतारते चलो !!
कृष्ण जी का दिया गीता का सार अपने दिल में
उतार कर तो देखो , क्या ख़ुशी मिलती है
“अजीत” के लिखे हुए शब्दों को भी अपने दिल
में स्वीकार कर तो देखो, जिन्दगी कैसे बदलती है !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ