वरदानी माँ
अर्द्धचन्द्र शोभित छवि मण्डल,
वरदानी कल्याणी माँ।
घण्टाध्वनि की गूँज महाध्वनि,
नमन करे हर प्राणी माँ।।
सिंह सवार गर्जना करती,
कम्पित दुर्जन जन होते।
शीश मुकुट छवि लोचन विस्तृत,
भक्त दरश कर खुश होते।।
तृतीय दिवस मातु नवदुर्गा,
रूप चन्द्रघण्टा अम्बे।
कष्टनिवारिणि अभयदायिनी,
जयति जयति जय जगदम्बे।।
वास करें शुभदा सुखदा माँ,
मनमन्दिर हृदयासन पर।
अनुकम्पा माँ आदिभवानी,
चक्रहृदय पद्मासन पर।।
डा.मीना कौशल
प्रियदर्शिनी