Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Mar 2024 · 1 min read

वक्त

लगता है चलते-चलते वक्त कुछ पीछे छूट गया ,
कुछ ऐसे गुजरा की कुछ पता ही नहीं चला ,

हम कहां थे ? कहां से कहां आ गए ?
हम क्या थे ? क्या से क्या हो गए !

कुछ अपनी किस्मत, कुछ अपनी फितरत,
कुछ अपनी मर्ज़ी, कुछ ख़ुदगर्ज़ी,
कुछ अपनी अना, कुछ अपनी वफ़ा से
कुछ मा’ज़ूर , कुछ मजबूर ,
हम क्या से क्या बनकर रह गए !

ख्वाहिशें तो कुछ थीं आसमाँ छूने की ,
ख्वाबों को हक़ीक़त में बदलने की ,

पर वक्त रहते वक्त की कीमत ना पहचान पाए !
भटकते रहे सराबों में हक़ीक़त ना जान पाए !

अब कहते हैं वक्त की गर्दिश ने हमें मार दिया !
जबकि जाने- अनजाने हमनें वक्त को मार दिया।

2 Likes · 112 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
हे ! भाग्य विधाता ,जग के रखवारे ।
हे ! भाग्य विधाता ,जग के रखवारे ।
Buddha Prakash
बुंदेली लघुकथा - कछु तुम समजे, कछु हम
बुंदेली लघुकथा - कछु तुम समजे, कछु हम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
और भी हैं !!
और भी हैं !!
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मुक्तक
मुक्तक
नूरफातिमा खातून नूरी
*इश्क़ से इश्क़*
*इश्क़ से इश्क़*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
#कामयाबी
#कामयाबी
Radheshyam Khatik
कैसी लगी है होड़
कैसी लगी है होड़
Sûrëkhâ
दिल के दरवाज़े
दिल के दरवाज़े
Bodhisatva kastooriya
* हिन्दी को ही *
* हिन्दी को ही *
surenderpal vaidya
😢कलजुग😢
😢कलजुग😢
*प्रणय*
भ्रष्टाचार ने बदल डाला
भ्रष्टाचार ने बदल डाला
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
4796.*पूर्णिका*
4796.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कविता कि प्रेम
कविता कि प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
इल्म हुआ जब इश्क का,
इल्म हुआ जब इश्क का,
sushil sarna
बुरा न मानो, होली है! जोगीरा सा रा रा रा रा....
बुरा न मानो, होली है! जोगीरा सा रा रा रा रा....
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
"" *पेड़ों की पुकार* ""
सुनीलानंद महंत
क्या क्या बदले
क्या क्या बदले
Rekha Drolia
भाईदूज
भाईदूज
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
गांव गलियां मुस्कुराएं,
गांव गलियां मुस्कुराएं,
TAMANNA BILASPURI
हमेशा के लिए कुछ भी नहीं है
हमेशा के लिए कुछ भी नहीं है
Adha Deshwal
💞 डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक अरूण अतृप्त 💞
💞 डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक अरूण अतृप्त 💞
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सभी कहने को अपने हैं मगर फिर भी अकेला हूँ।
सभी कहने को अपने हैं मगर फिर भी अकेला हूँ।
Sunil Gupta
ज़रूरतों  के  हैं  बस तकाज़े,
ज़रूरतों के हैं बस तकाज़े,
Dr fauzia Naseem shad
हर शख्स तन्हा
हर शख्स तन्हा
Surinder blackpen
"समय का भरोसा नहीं है इसलिए जब तक जिंदगी है तब तक उदारता, वि
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मोबाइल
मोबाइल
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
हिम्मत वाली प्रेमी प्रेमिका पति पत्नी बनतेहै,
हिम्मत वाली प्रेमी प्रेमिका पति पत्नी बनतेहै,
पूर्वार्थ
रेल चलय छुक-छुक
रेल चलय छुक-छुक
Dr. Kishan tandon kranti
खाली सड़के सूना
खाली सड़के सूना
Mamta Rani
Loading...