वक्त
मुझे गर तुमने वो एक लफ्ज़ ना कहा होता।
मैं आज भी वही मौज़ और तू किनारा होता।।
था वहम तुझे खुदा होने का खुद पे बहोत।
तो यूं ही मैं आज आंसमा तू जमीं ना होता।।…
मुझे गर तुमने वो एक लफ्ज़ ना कहा होता।
मैं आज भी वही मौज़ और तू किनारा होता।।
था वहम तुझे खुदा होने का खुद पे बहोत।
तो यूं ही मैं आज आंसमा तू जमीं ना होता।।…