Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Apr 2024 · 1 min read

“वक्त के साथ”

“वक्त के साथ”
वक्त के साथ जमाने में
कितना कुछ फर्क आ गया है,
पहले होते थे दिल से प्रेम
अब डिस्पोजल प्रेम छा गया है।

3 Likes · 3 Comments · 88 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
दोहा -
दोहा -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कोई भी जंग अंग से नही बल्कि हौसले और उमंग से जीती जाती है।
कोई भी जंग अंग से नही बल्कि हौसले और उमंग से जीती जाती है।
Rj Anand Prajapati
अभाव और साहित्य का पुराना रिश्ता है अभाव ही कवि को नए आलंबन
अभाव और साहित्य का पुराना रिश्ता है अभाव ही कवि को नए आलंबन
गुमनाम 'बाबा'
3210.*पूर्णिका*
3210.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बाप ने शादी मे अपनी जान से प्यारा बेटी दे दी लोग ट्रक में झा
बाप ने शादी मे अपनी जान से प्यारा बेटी दे दी लोग ट्रक में झा
Ranjeet kumar patre
अजीब मानसिक दौर है
अजीब मानसिक दौर है
पूर्वार्थ
हसरतों की भी एक उम्र होनी चाहिए।
हसरतों की भी एक उम्र होनी चाहिए।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
सरसी छंद
सरसी छंद
Neelofar Khan
साधना की मन सुहानी भोर से
साधना की मन सुहानी भोर से
OM PRAKASH MEENA
शीर्षक:-आप ही बदल गए।
शीर्षक:-आप ही बदल गए।
Pratibha Pandey
रातों में नींद तो दिन में सपने देखे,
रातों में नींद तो दिन में सपने देखे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
This is the situation
This is the situation
Otteri Selvakumar
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
ख्वाब सुलग रहें है... जल जाएंगे इक रोज
ख्वाब सुलग रहें है... जल जाएंगे इक रोज
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मेरी ख़्वाहिश ने मुझ को लूटा है
मेरी ख़्वाहिश ने मुझ को लूटा है
Dr fauzia Naseem shad
*ईश्वर की रचना है धरती, आकाश उसी की काया है (राधेश्यामी छंद)
*ईश्वर की रचना है धरती, आकाश उसी की काया है (राधेश्यामी छंद)
Ravi Prakash
दिल का मौसम सादा है
दिल का मौसम सादा है
Shweta Soni
युवा शक्ति
युवा शक्ति
संजय कुमार संजू
विषय:गुलाब
विषय:गुलाब
Harminder Kaur
कबूतर इस जमाने में कहां अब पाले जाते हैं
कबूतर इस जमाने में कहां अब पाले जाते हैं
अरशद रसूल बदायूंनी
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ५)
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ५)
Kanchan Khanna
#सम_सामयिक
#सम_सामयिक
*प्रणय*
भावुक हुए बहुत दिन हो गए
भावुक हुए बहुत दिन हो गए
Suryakant Dwivedi
लोग बंदर
लोग बंदर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-146 के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-146 के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कलम की ताक़त
कलम की ताक़त
Dr. Rajeev Jain
*मां*
*मां*
Dr. Priya Gupta
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
लक्ष्मी सिंह
हमसे ये ना पूछो कितनो से दिल लगाया है,
हमसे ये ना पूछो कितनो से दिल लगाया है,
Ravi Betulwala
*यदि उसे नजरों से गिराया नहीं होता*
*यदि उसे नजरों से गिराया नहीं होता*
sudhir kumar
Loading...