वक्त की करवट
वक्त बदलता करवटें,अनजाने में रोज।
दुनिया के इंसान सब,रहे युगों से खोज ।।
जान न पाए आज तक ,कल कैसा हो वक्त।
कब होगा खुशियों भरा ,कब आयेगा सक्त।।
वक्त नहीं है हाथ में, परवश हैं सब लोग ।
सब कहते हैं एक मत,कर्मों का संयोग।।
सूर्य निकलता रोज ही,तेज किरण ले हाथ।
वक्त एक ठंडा करे, देत न गर्मी साथ।।
धूप छाँव सा वक्त है,रहता नहीं समान।
पल में करता है दुखी, पल में सुख पहचान।।
लेता करवट वक्त जब,बदल जाय पहचान।
राजा होता रंक सा,रंक बने धनवान।।
वक्त पड़े पर मित्र की,हो जाती पहचान।
वरना सब कहते फिरें,लुटा रहे हम जान।।
वक्त परीक्षा के लिए,लाता अच्छा योग।
भला बुरा पहचान लो,कौन श्रेष्ठतम लोग।।
राजेश कौरव सुमित्र