वक्त कब लगता है
वक्त लगता है कब बेवफा होने को।
देर लगती नही अब दूसरा होने को।
हमसफर झट से बदल जाते है अब
रूकता नही कोई भी फना होने को।
झट से भूल जाते है नगमे वफा के
चलते है फिर नई सी सदा होने को।
जिन बहारो पे नाज करते है हम
छोड़ जाती है वही खिजां होने को।
कुछ देर और साथ दे जा ऐ हमसफर
वक्त कम ही लगता है जुदा होने को।
Surinder kaur