वक़्त बेवक्त यूं ना याद आया करो….
हम भी है इंसान तेरी तरह,
कुछ तो खुद सा महसूस कराया करो,
वक़्त बेवक्त यूं ना याद आया करो।
लफ्जो से नहीं आंखो से ही सही,
कुछ तो सब्र हमको दिखाया करो,
वक़्त बेवक्त यूं ना याद आया करो।
क्या सुबह क्या शाम, निहारो तो सही,
पलकों पे इक ठंडी छाव दे जाया करो,
वक़्त बेवक्त यूं ना याद आया करो।
उलझन समझो किसी पीर से मिलाओ,
जो बात बची रह गई वो बात तो बताओ,
बात बिना खत्म किए यूं ना जाया करो,
वक़्त बेवक्त यूं ना याद आया करो।
दर्द में देख कर सुकुं मिलता है उसको,
दर्द लाज़िम है हमको, कुछ और भी फर्माया करो,
वक़्त बेवक्त यूं ना याद आया करो।