वक़्त की पहचान🙏
वक्त की पहचान🙏
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वक्त अनजान गुमनाम नहीं
जग तो हैं संगी साथी इनके
समझते जन पल पल इनको
वक्त नहीं समझता किसीको
जव़ाना जानता है पर ये ज़ुवां
नहीं समझता जव़ाने की कभी
वक्त से बड कर दूजा ना कोई
बात वक्त की इतिहास बनी
वक्त जो चाहता करता वही
वक्त घड़ी की इक छड़ी
टिक टिक करता जाए
क्षण क्षण बीता जाए
वक्त रोके न रुकते कभी
यह न रुका न रुकेगा कभी
आगे बढता रहता पीछे ना
देखा और कभी ना देखेगा
जीवन एक घड़ी की छड़ी
वक्त साथ लिए चलाता जाए
चल चल कभी नहीं थकता ये
दूजे का जीवन थकाता जाता
निज राग सुनाता चलता है
नही सुनता किसी का कोई
राजा को रंक रंक को राजा
साधु महात्मा की एक सजा
सरताज दे क्षण छीन लेते
देवी देव नहीं . छुट इसने
स्वर्ग वैभव छीन भू वन भेज
वन वन भटकने छोड़ देता
वक्त कभी भटकता नही
जग को भटका देते
अजर अमर अविनाशी ये
युगों को बदल बिन बदले
अपलक दृष्टि से बढ़ता जाए
टिक टिक पलपल बीता जाए
वक्त किसी का मोहताज नहीं
युग इनके मोहताज प्रतिपल
ये बराबर सबको मौका देता
राजा रंक मान भेद नहीं
गरीब अमीर बच्चे बूढ़े जीव
जन्तु में कोई अंतरभेद नही
साथ क्षण क्षण बढ़ता जाता है
बेदाग बादशाह कालखण्ड का
दाग लगाते पर दागी नहीं होते
सामान गति से चलता जाए
राग अनुराग रंगरूप भेष भाषा
विरह मिलन नाता रिश्ता की
पहचान नहीं अपनी पहचान
बना जग संदेश छोड़ते जाते
बेदर्दी ये दर्द क्या जाने ज़हान
सुख दुख गम वेदना देते जाते
यातना क्षोभ विक्षोभ सबको
एक समान देते पर स्वयं न लेते
इनके नजर ना बड़ा छोटा कोई
अपना पराया एकसमान दीखते
वक्त पहचान जो जन करते काम
उसी का जग में होता मान सम्मान
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तारकेशवर प्रसाद तरूप