वंसत पंचमी
शुक्ल पक्ष की पंचमी, वसंत का आगमन
सरसों के खेतों में लहराना , पीले फूलों का आच्छादन
करो अभिवादन आत्मीयता से भू हरियाली छाई
मौसम बड़ा सुहावना, अब वसंत ॠतु आई ।
ना अधिक सर्दी है, ना अधिक गर्मी है
मंद-मंद सुंगंध, पवन चलने लगी है
नये पल्लव, नये मनभावन फूलों के गुच्छे भाइ
मौसम बड़ा सुहावना, अब वसंत ॠतु आई ।
सारे पशु-पक्षी, वृक्ष-लता,नर-नारी आनंदमग्न खेलना
वसंत ॠतु “ॠतुराज” है, माॅ सरस्वती की आराधना
संगीत,साहित्य व कला चरणों में देई
मौसम बड़ा सुहावना, अब वसंत ॠतु आई।
नया उत्साह व उमंग से उत्सव मनाना
सारे जहाँ प्रकृति के रंग में रंग जाना
उत्सव को उत्सवधर्मि के रूप में छाई
मौसम बड़ा सुहावना, अब वसंत ॠतु आई।
विद्या की देवी शतरूपा,वाणी,वाग्देवी,भारती, शारदा व वागेश्वरी कल्याणी सुखदाता
माँ उपासना,साधना,आराधना से बुद्धिमता
माँ सबकी मधुर वाणी से चेतना भर देई
मौसम बड़ा सुहावना, अब वसंत ॠतु आई।
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– राजू गजभिये बदनावर