लोह पथ गामिनी ( रेल गाड़ी ) की महिमा
जनता की प्यारी लोह्पथ गामिनी ,
चपल -चंचल इठलाती हुई भोंपू बजाती ,
यूँ लगे जैसे सर्पिनी कोई फुफकारती हुई.
नए साल में प्रभु ने दिए इसे अनमोल उपहार ,
नयी तकनिकी के संग किया ,लोह-पथ गामिनी का श्रृगार .
कर तो दिया श्रृगार ,मगर यह अटल कैसे रहेगा.?
कोई शरारती तत्व , नौसिखिये नर ,
जब अपनी जायदाद समझकर ,
इसका स्वरूप बिगाड़ देंगे ,
तो इसका श्रृगार क्या बचा रहेगा. ?
कहता है कवि राय जनता से जोड़कर हाथ ,
है यह सार्वजानिक वाहन ,
मगर इसे अपनी प्रॉपर्टी ना समझें ,
इसकी स्वच्छता ,सुंदरता को बनाये रखने में ,
पूर्ण सहयोग दें.
है यह लेटलतीफ ,मगर शिकायत मत कीजिये ,
आपको भी तो कभी हो जाती है देर ,
इसीलिए इसकी लेट-लतीफी को भी बर्दाश्त कीजिये.