“लोहे का पहाड़”
“लोहे का पहाड़”
कभी हँसता हुआ सा
कभी ऊंघता हुआ सा
हरियाली की चादर ओढ़े
कभी स्वागत में लगते
मानो दोनों कर जोड़े
कभी लगता उजाड़-उजाड़
वह लोहे का पहाड़।
“लोहे का पहाड़”
कभी हँसता हुआ सा
कभी ऊंघता हुआ सा
हरियाली की चादर ओढ़े
कभी स्वागत में लगते
मानो दोनों कर जोड़े
कभी लगता उजाड़-उजाड़
वह लोहे का पहाड़।