Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2024 · 1 min read

– लोग भूतकाल नही वर्तमान देखते है –

लोग भूतकाल नही वर्तमान देखते है –
भूतकाल में क्या थे,
भविष्य में क्या होंगे,
भविष्य का किसी को कुछ पता नही है,
भूतकाल जो बीत चुका,
भावी जीवन जो आएगा,
भूतकाल में राजसी वैभव हो,
धन – धान्य समृद्धि का पहरा हो,
भविष्य को किसने देखा,
भविष्य के गर्भ में तुम्हारे है क्या,
आज तुम्हारे पास है क्या,
तुमने कितना कष्ट सहा,
दुख झेले पीड़ा में पला,
इन सबसे बचके तू जरा,
क्योंकि लोग भूतकाल को नही वर्तमान देखते है,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान

Language: Hindi
45 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इस घर से .....
इस घर से .....
sushil sarna
अच्छे   बल्लेबाज  हैं,  गेंदबाज   दमदार।
अच्छे बल्लेबाज हैं, गेंदबाज दमदार।
दुष्यन्त 'बाबा'
भुक्त - भोगी
भुक्त - भोगी
Ramswaroop Dinkar
पीर
पीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
1-कैसे विष मज़हब का फैला, मानवता का ह्रास हुआ
1-कैसे विष मज़हब का फैला, मानवता का ह्रास हुआ
Ajay Kumar Vimal
इन्द्रधनुष
इन्द्रधनुष
Dheerja Sharma
रहे हरदम यही मंजर
रहे हरदम यही मंजर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
पड़ोसन के वास्ते
पड़ोसन के वास्ते
VINOD CHAUHAN
बिल्ली मौसी (बाल कविता)
बिल्ली मौसी (बाल कविता)
नाथ सोनांचली
ईश्वर
ईश्वर
Neeraj Agarwal
चलते रहना ही जीवन है।
चलते रहना ही जीवन है।
संजय कुमार संजू
कलियों सा तुम्हारा यौवन खिला है।
कलियों सा तुम्हारा यौवन खिला है।
Rj Anand Prajapati
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"विस्तार"
Dr. Kishan tandon kranti
काश कि ऐसा होता....
काश कि ऐसा होता....
Ajay Kumar Mallah
प्यार का पंचनामा
प्यार का पंचनामा
Dr Parveen Thakur
प्रेम
प्रेम
Pratibha Pandey
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
सत्य कुमार प्रेमी
धरा हमारी स्वच्छ हो, सबका हो उत्कर्ष।
धरा हमारी स्वच्छ हो, सबका हो उत्कर्ष।
surenderpal vaidya
जन्म-जन्म का साथ.....
जन्म-जन्म का साथ.....
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
संन्यास के दो पक्ष हैं
संन्यास के दो पक्ष हैं
हिमांशु Kulshrestha
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
मेरी कलम से...
मेरी कलम से...
Anand Kumar
मौज  कर हर रोज कर
मौज कर हर रोज कर
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
3081.*पूर्णिका*
3081.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
कवि दीपक बवेजा
औरों के धुन से क्या मतलब कोई किसी की नहीं सुनता है !
औरों के धुन से क्या मतलब कोई किसी की नहीं सुनता है !
DrLakshman Jha Parimal
नाम इंसानियत का
नाम इंसानियत का
Dr fauzia Naseem shad
हर ख्याल से तुम खुबसूरत हो
हर ख्याल से तुम खुबसूरत हो
Swami Ganganiya
*डॉंटा जाता शिष्य जो, बन जाता विद्वान (कुंडलिया)*
*डॉंटा जाता शिष्य जो, बन जाता विद्वान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...