— लोग जलते हैं —
लोग,
न जाने क्यूं
जल जाते हैं मेरी मुस्कान से
क्यूंकि, मैंने
कभी अपने दर्द की
सरेआम नुमाईश नही की !!
जैसा मिला अपना लिया
न मिला तो कभी गाया नही
मिला तो शुक्रिया किया रब का
क्यूंकि मैने कभी अपने लिए
किसी चीज की फरमाईश नही की !!
मुश्किल से समझ पाते हैं
लोग मुझ को , क्यूंकि
मेरा जीने का अंदाज अलग है
जिस से मिला उस का हो गया
किसी से कभी किसी चीज की
ख़वाईश जो नही की !!
यह सच है, की दूसरों के मुकाबले
ज्यादा तो नही पाया है मैने
पर हाँ , खुश हूँ,
कभी खुद को गिरा कर,
कुछ उठाया जो नही मैने
क्यूंकि, किसी से कभी
गुजारिश ही नही की !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ