*लोकनागरी लिपि के प्रयोगकर्ता श्री सुरेश राम भाई*
लोकनागरी लिपि के प्रयोगकर्ता श्री सुरेश राम भाई
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रामपुर के मूल निवासी सुरेश राम भाई जी अपनी चिठ्ठियों में हमेशा लोकनागरी लिपि का प्रयोग करते थे। कई बार उनकी चिट्ठियों को पढ़ने में मुझे असुविधा भी होती थी। कुछ तो उनकी लेखनी ज्यादा ही प्रवाह में चलती थी। उस पर लोकनागरी के प्रयोग से शब्द को सही-सही समझने में भी बाधा आती थी।
एक चिट्ठी में उन्होंने मुझे लोकनागरी के बारे में ही मुख्य रूप से बताया। उनकी आत्मीयता एक आशीर्वाद ही कही जाएगी। भाई जी आजादी की लड़ाई में जेल गए थे एम.एससी. गोल्ड मेडलिस्ट थे। आजादी के बाद विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में उन्होंने अपने को समर्पित कर दिया था। न पद की चाह, न पैसे की कामना। वह अद्वितीय थे।
चिट्ठी पर तारीख 23 अप्रैल 1988 अंकित है। भाई जी का पता सी-1/2 मॉडल टाउन, प्लॉट नंबर 6, दिल्ली 110009 तथा फोन नंबर 7213191 है। चिट्ठी इस प्रकार है:-
दिल्ली
1988 अप्रैल 23
भैया चिरंजीव रवि बाबू
सस्नेह शुभाशीष
तेरह तारीख की चिट्ठी के लिए अनेक धन्यवाद। उसे पाकर बहुत खुशी हुई। खास तौर से यह जानकर कि पिछली वाली चिट्ठी भी पहुॅंच गई थी। इस पहुॅंच के देने में देरी के लिए माफ करना, क्योंकि बाहर चला गया था।
लोकनागरी की कल्पना विनोबा जी की है। उन्होंने उसका टाइपराइटर भी ढलवाया था। मगर वह चला नहीं। मुझे इसमें बस इतना संशोधन ( अइ की बजाय अई और अइ की बजाय अई ) पसंद है जिसे कभी-कभी इस्तेमाल करना है, प्राय खतों में ही। वजह यह है कि मात्रा लगाने के लिए हाथ पीछे लौटालना रुकावट पैदा करता है। इस वास्ते दोनों मात्राऍं आगे की दिशा में लगाना ज्यादा जॅंचता है। वैसे अपनी अपनी राय है।
हॉं, रामपुर आने का कार्यक्रम है- लेकिन तारीख तय नहीं कर पा रहा हूॅं। पहुॅंचते ही खबर करूॅंगा। भाई महेंद्र जी और सब बड़ों को मेरे प्रणाम कहना। छोटों को आशीर्वाद और नन्हे-मुन्नों को प्यार
दादू के आशीर्वाद
सुरेश राम भाई