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9 Jun 2021 · 2 min read

लेख- आम नहीं है ‘आम’

बुंदेली आलेख-“आम नइयां आम”

-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’

बैसे तो हमसें पैला कैउ जनन ने भौत नोनो लिख डारो कछू बचो नइयां, फिर भी हमने बी.एससी. कृषि से करी है उर आम के बारे में भौय पढ़ों है। दस बारा पेज तो हम उसई तुरंत लिख सकत है पै इते कछू नयी बातें लिख रय जो अबें तक उपर कौनउ ने नहीं लिखी संक्षिप्त में लिख रय मोबाइल पै लिखवे में भौत समय लगत है।
आम कभउ आम नइ रव हमेशा फलन कौं राजा बनके रव। उर राजा का महाराजा बन कै रव है। पतौ है आम बांग्लादेश कौ राष्ट्रीय पेड़ है उर भारत, पाकिस्तान उर फिलीपींस देशन को राष्ट्रीय फल है। आम को वैज्ञानिक नाव मैगीफेरा इंडिका है। ई कौ जनम भारत है हजारन बरसन से भारत में पाव जात है फिर चौथी शताब्दी से एशिया में उर चौदहवीं शताब्दी सें अफ्रीका में भी होन लगो तो। आम में मुख्य रूप सें फरवरी-मार्च में फूल बौर आत है उर मई-अगस्त तक फलत है। आम कि सौ से जादा किस्में है। भारत में ई कि सबसे जादा होता है उर इतै से मुलकन देसन में ऐन निर्यात होत है।
आम कौ कैउ नाव सें जानो जात है अपने बुंदेलखंड में अमिया कत है। पै इकै कैउ नाव है जैसे- आम्र, अंब, अमृतफल, अतिसौरभ, कामशर, पिटबंधु, प्रियांबु, रसाल, सहकार, फल श्रेष्ठ, और दो शब्द भौतइ अश्लील है सो वे हम इतै नइ लिख रय।
आम पे लगवे वारे कछू कीरा उर रोगन कै बारे में तनक थोरे शब्दन में हम बता रय कै आम में कछू कीरा उर सुडी नुकसान पौचाउय है जी में फल की मक्खी जिये फ्रूट फ्लाई कई जात सबसे जादा नुकसान पौचाउत है,गुठली कौ घुन,जाला कीट,फुदका या फुनगा,गाल मीज उर दीमक आदि प्रमुख है इनसें बचाव के लाने रासायनों कौ छिड़काव करो जात है जैसे फास्फोमिडान आदि उर गैरी जुताई करके दीमक आदि से रक्षा करी जा सकत है।
आम में कछू रोग भी होत है जी में प्रमुख रूप सें सफेद चूर्णी रोग जिये पाउडरी मिल्डयू कव जात है,एन्थेनोक्स,ब्लेक टिप, गुच्छा रोग आदि।
एक बात उर आम कै पेड में बिशेषतौर पै पाई जात है कै इमें एकांतर फलन होत है माने एक साल ऐन फरत है दूसरे साल बिल्कुल नहीं फरत है। जौ प्राय उतै देखवै कों मिल जात है जितै ऐंगरे ईंट के भट्टे लगे रत उ कै जहरीले धुआं से एकांतर फलन होन लगत है। देशी किस्मों में यह समस्या जादां होत है।
अंत में-
आम पै हमने कछु स्वरचित बुंदेली दोहा लिखे है मजा लीजिए-

बिषय- “आम”

कच्चा,पका,अचार भी,
आम जूस पी जाय।
पना बनाकर पीजिए,
लपट नहीं लग पाय।।
***
कच्ची अमिया देखके,
सबका जी ललचाय।
आम चुराए बाग से,
खाए मन भर जाय।।
***
आम दशहरी है भला,
अल्फांजो है खास।
तोता परी अधिक बड़ा,
चौसा रहे उदास।।

——–००००—-++++
-राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
बी.एससी.(कृषि), एम.ए.(हिंदी)
संपादक आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल-9893520965

Language: Hindi
Tag: लेख
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