लेखनी सोचती आखिर क्यों..?
आज लेखनी मेरी कुछ व्याकुल सी है,
ना जाने क्यों पर मौन है?
पूछ रही है, सही गलत को
क्या बोलूं उसको की सच मे
इस मतलबी दुनिया में परखता कौन है?
लेखनी सोचती हैं आखिर क्यों…
सही गलत की सोच ही तो
आज सब दूरियां बढ़ाती है।
दुनिया में बस एक मैं ही सही
इसी सोच ने छीना आज सुख चैन है
कौन सही है, कौन गलत है?
इसे परखता कौन है?
लेखनी सोचती है आखिर क्यों…
आज पूछती लेखनी बताओ सही गलत का,
आपके पास है कोई पैमाना क्या?
अगर नहीं तो किसी की सोच पर,
उचित है प्रश्न उठाना बताओगे क्या?
सही गलत में ही हम उलझे हैं देखो आज
बस बाकी सब गौण है,रिश्ते नाते सब बेकार
पर इसे परखता कौन हैं?
लेखनी सोचती है आखिर क्यों…