लेखक कि चाहत
मेरी चाहत काल मानवता के
आदर्शो का नायक हो।।
मेरे भावो की अभिव्यक्ति सच्चाई
दर्पण हो।।
कलम चले हमारी अन्याय अत्याचारों
पर नैतिकता के विजय तेज धार
तलवार हो।।
सृजन करूँ ऐसा युग आदर्श
अवधारणा जैसा लिख दूँ
इतिहास कलम से वर्त्तमान का
प्रेरक हो।।
जन जन के हृदय भाव मे स्थान
हो मेरा ना रहने पर भी
शब्द स्वर कलम अक्षय अक्षुण
हो अभिमान हो मेरा।।
निःस्वार्थ रहूँ ,निरपेक्ष रहूँ ,सत्य याथार्त
रहूं विचलित ना हो मार्ग हमारा सार साहित्य का मान रहूं।।
काव्य कविता और कहानी मेरे
मानव मानवता के मूल्यो के मेरी
इच्छा चाहे देनी हो कितनी परीक्षा
न्याय नैतिकता का नीति नियत
काल रहूं।।
तुलसी ,सुर ,कबीर ,कालिदास व्यास
नागार्जुन परसाई हरिवंश राय सा बच्चन मधुशाला का गान रहूं।।
मेरे अन्तर्मन की ज्वाला के आँगर
कलम से निकले दृष्ट दमन का काल
बने सत्य अहिंशा की मौलिकता का
मर्यादाओं का मान रहूं।।
कलम हमारी काल जयी का
आविष्कार लिखे युग की आकांक्षा
का भविष्य वर्तमान लिखे।।
मेरे मन के भाँवो से किरणों का
सांचार निकले परिवर्तित हो साहित्य
सार का सार आभार मिले।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश