लेकिन, प्यार जहां में पा लिया मैंने
तुमसे से ना सही लेकिन, प्यार जहां में पा लिया मैंने।
तुमको ना सही लेकिन, साथी अपना पा लिया मैंने।।
तुमसे ना सही लेकिन—————–।।
दिल में कोई पाप नहीं है, चाहे उसकी है जाति कोई।
तुम्हारा ना सही लेकिन, दिल जहां में पा लिया मैंने।।
तुमसे ना सही लेकिन,——————।।
तुमसे रिश्ता लहू का था, फिर क्यों तुमने समझा नहीं।
तुमसे ना सही लेकिन, घर जहां में पा लिया मैंने।।
तुमसे ना सही लेकिन——————-।।
मानकर तुमने तो दुश्मन, बहुत किया बदनाम मुझे।
तुमसे ना सही लेकिन, सम्मान जहां में पा लिया मैंने।।तुमसे ना सही लेकिन——————।।
कोशिश तुमने बहुत की, हस्ती मेरी करने को बर्बाद।
तुमको ना सही लेकिन, मन्जिल को पा लिया मैंने।।
तुमसे ना सही लेकिन—————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)