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11 Feb 2022 · 1 min read

लिबास

लिबास

मत करो पहचान मेरी ,लिबास से मेरे,
क्यों खेलते रहते सदा,जज्बात से मेरे।
शौर्य साहस की कई गाथाएँ लिखी मैंने
सब जानते मुझको सदा,अंदाज से मेरे।।

रचना- पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृहजिला- सुपौल
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597

Language: Hindi
1 Like · 169 Views
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