*** सफ़र जिंदगी के….!!! ***
” इस सफ़र के छोर कहाँ तक है…
कुछ पता नहीं….!
ये बंधन के डोर मजबूत है कितनी…
कुछ पता नहीं….!
ये सांसों के स्पंदन कब तक है…
कुछ पता नहीं….!
तेरे-मेरे विचार मिलते हैं कितनी…
कुछ भी पता नहीं….!
पर मालूम है कि मुझे…
कुछ कदम तेरी है, इस सफ़र में…!
कुछ कदम मेरा है, इस सफ़र में…!
कहाँ है विश्राम..? इस सफ़र में…
कौन है साथ अपने..? इस सफ़र में…
कुछ पता नहीं…!
कौन है पराये..? इस सफ़र में…
कौन है अपने..? इस सफ़र में…
कुछ भी पता नहीं…!
पर मालूम है कि मुझे… कदम अपने…
कुछ डगमगायेंगे, इस सफ़र में…!
चलते-चलते पांवों में अपने…
कुछ छाले पड़ जायेंगे, इस सफ़र में…!
शिकवा और सिकायत होंगे…
हर कदम-कदम पर, इस सफ़र में…!
फिर भी हमें…
साथ-साथ चलने होंगे, इस सफ़र में…!
और कुछ तय समय में ही…
लंबी दूरी चलने होंगे, इस सफ़र में…!
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* बी पी पटेल *
बिलासपुर ( छ.ग. )
०९ / ०९ / २०२३