लिप्सा-स्वारथ-द्वेष में, गिरे कहाँ तक लोग !
लिप्सा-स्वारथ-द्वेष में, गिरे कहाँ तक लोग !
मार लंगड़ी और को, गिरा रहे हैं लोग।।
अर्थ बनाने में लगे, जिएँ अर्थ के अर्थ।
जीवन-अर्थ न जानते, जीना उनका व्यर्थ।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
लिप्सा-स्वारथ-द्वेष में, गिरे कहाँ तक लोग !
मार लंगड़ी और को, गिरा रहे हैं लोग।।
अर्थ बनाने में लगे, जिएँ अर्थ के अर्थ।
जीवन-अर्थ न जानते, जीना उनका व्यर्थ।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद