चला मुरारी हीरो बनने ….
ना हारने का डर था
ना ही कल की फ़िक्र
बस अँधेरे में ढूंढ़ना
जैसे सूरज की किरण
आर देखा न पार देखा
दोस्त देखा न दुश्मन
सबक तो सिखाया
जिसने भी भरोसा किया
ना कोई मंजिल थी
ना कोई सपना सलोना
बस निकल पड़ा यूँही
राहों पर पागलो की तरह
न कोई रिश्ता निभाया
ना किसी से प्यार जताया
हर वक्त नौटंकी कर के
चला मुरारी हीरो बनने ….