लाल बहादुर
लाल बहादुर
लाल बहादुर नाम था उनका
लगते थे जैसे प्रभुजी के दूत।
सरल सहज जीवन वाले वह
ज्ञान के थे वह परम निधान।
दो अक्टूबर अवतरण हुआ
परम चतुर वे सहज सुजान।
कठिनाई सारी वे रहे जीतते
दिया भाग्य ने जिसे अकूत।
वीर लाल वे मुगलसराय के
कर्मठता जिनके थी रग रग।
था रहा देशहित लक्ष्य हमेशा
नतमस्तक आगे उनके जग।
सत्य अहिंसा के थे संवाहक
भारत माता के वे वीर सपूत।
‘जय जवान जय किसान’ का
उनका अपना इक नारा था।
विश्व शाँति की चाहत उनकी
हर मानव उनको प्यारा था।
‘शास्त्री’ उपाधि मिली उनको
चाहत बाँधे जग एक ही सूत।
डाॅ सरला सिंह “स्निग्धा”
दिल्ली