लालबाग मैदान
जगदलपुर की शान,
वो लालबाग मैदान।
स्वत्रंत्रता दिवस हो
या हो गणतंत्र दिवस
खेलों का आयोजन हो
या पुलिस की दौड़
सदा ही मुस्काते दिखते
उदासियों को छोड़
देते चैन-सुकून-आराम,
वो लालबाग मैदान।
राष्ट्रपति जी का आगमन हो
कि नेताओं का उद्बोधन
बाहर रैनी दशहरा हो
या कोई मनोरंजन
आते बहुत सा काम,
वो लालबाग मैदान।
सुन्दर लगती पेड़ों की कतारें
हरे-भरे खूबसूरत नजारे
खुली वादियाँ, खुले आसमान
जैसे कोई सपनों के जहान
खींचते हर एक का ध्यान,
वो लालबाग मैदान।
(मेरी सप्तम काव्य-कृति : ‘सतरंगी बस्तर’ से..)
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।