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15 May 2023 · 1 min read

लाज शर्म को छोड़

दुनिया में अगर पोपुलर होना है
तो शर्म लिहाज को छोड़ दो
आप प्रसिद्धी अगर पानी हैं तो
सच है शर्म लिहाज को मोड़ दो !!

आज हर तरफ भीड़ लगी है
बेशर्मी कि, कोई न रखता लिहाज
आते थे पहले भी इंसान यहाँ पर
पर आज चढ़ा इंसान जा जहाज !!

खुद को आगे निकलने की खातिर
उलझ रहा जंजालो में
आवश्यकता न भी हो चाहे उसे
पर डूब रहा विलासिता के झमेलों में !!

दुनिया तो रंग बिरंगी हे
इस का हर रंग निराला है
कर्ज लेकर आज महल बना रहा
न जाने कल कौन इस का रखवाला है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
133 Views
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