लवंगलता सवैया
🙏
!! श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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लवंगलता सवैया
(8 जगण + लघु)
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जहाँ प्रगटे हरि धाम वहीं अति पावन है जल, भूमि, हवा, रज ।
यहाँ हरि आय बने घन श्याम बना यह पावन धाम बड़ा ब्रज ।।
यहीं जनमी वृषभानु लली जिनकी छवि मूरख जावत है तज ।
हमें यह धाम मिला सुखदायक ‘ज्योति’ सदा मन माधव को भज ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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