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29 May 2023 · 1 min read

लम्हे खर्च हो गए

ज़िन्दगी से लम्हे चुरा
पर्स मे रखती रही
फुरसत से खरचूंगी
बस यही सोचती रही।
उधड़ती रही जेब
करती रही तुरपाई
फिसलती रही खुशियाँ
करती रही भरपाई।
इक दिन फुरसत पायी
सोचा खुद को आज रिझाऊं
बरसों से जो जोड़े
वो लम्हे खर्च आऊं।
खोला पर्स..लम्हे न थे
जाने कहाँ रीत गए!
मैंने तो खर्चे नही
जाने कैसे बीत गए !!
फुरसत मिली थी सोचा
खुद से ही मिल आऊं।
आईने में देखा जो
पहचान ही न पाऊँ।
ध्यान से देखा बालों पे
चांदी सी चढ़ी थी,
थी तो मुझ जैसी
जाने कौन खड़ी थी।!!!.
****धीरजा शर्मा ***

1 Like · 283 Views
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