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27 Jan 2024 · 1 min read

लम्हा-लम्हा

लम्हा-लम्हा हमने भी जीना सीख लिया
या यूं कहिए बस आंसू पीना सीख लिया।

भूल कर बात पुरानी आगे रखा है कदम ।
बेवफा देख ज़रा,अब नहीं भरते तेरा दम।

कितनी बार जीये,कितनी बार मरे कोई ।
हंसे कोई कैसे ,जब आंसू आंख भरे कोई।

याद क्यों करूं मैं अब,जब वो भी भूल गया।
टूटा सपना जाने क्यों, आंखों में झूल गया।

खुदा‌ से था तुमको मांगा हमने कभी बार बार
फिर सब्र मांगा हमने,बची न कोई तकरार।

सुरिंदर कौर

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