लब मेरे अब मुस्कुराने लगे है नाम अब तेरा गुनगुनाने लगे है
लब मेरे अब मुस्कुराने लगे है
नाम अब तेरा गुनगुनाने लगे है
तू ही वज़ह है अब जीने की
सपने भी मुझे तेरे आने लगे है
रूह में बसकर अपना बनाने लगे है
साँसों से साँसे अब मिलाने लगे है
तू ही वज़ह है अब जीने की
नींदे भी अब वो चुराने लगे है
दिन का पहर अब रात भी है सुहानी
नई कहानी अब बनाने लगे है
भूपेंद्र रावत
30।11।2017