#लफ़्ज#
ये धड़कनें आजकल शोर करती हैं बहुत
कभी-कभी जी करता है लफ्जों के होंठ सी दूं,
चली थी हिसाब करने, उन मुलाकातों का
जो शौक-ए-राह में, चल के कदम-दो-कदम
न जाने कब मेरी जरूरियात बन गए थे,
हसरतों के दरख्त पर उगे थे कई ख्वाब
पर तेरी खामोशियां जमीं पर उतार लाई,
इरादा तो था तसव्वुर-ए-जानां को भुलाने का
पर, प्यार का हर लम्हा दिल में शोर बहुत करता है।