लतिका
डा अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
वृक्ष की जटाओं से
अपने केशों की
लताओं का
अविरल होता है
भान शनै शनै वृद्धि
होने पर मुदित
हो रहे प्राण
जातक लट की
नदी के तट
पर फैल रही हैं
लटायें
मुखारविन्द तनी
अरुण दमकता
स्मृति बिन्दु जल में
खेलें चपल रश्मि
प्रतिबिम्बित आभायें