“लघु कविता”
“लघु कविता”
——————-
नये घाव की
क्या है जल्दी
पुराना तो भरने
दो अभी
उमर है
जो भी बाकी
मिल जायेगा
नसीब में
घाव ही तो है
दे देना
जी चाहे
जब भी
——————–
राजेश”ललित” शर्मा
१९-३-२०१७
“लघु कविता”
——————-
नये घाव की
क्या है जल्दी
पुराना तो भरने
दो अभी
उमर है
जो भी बाकी
मिल जायेगा
नसीब में
घाव ही तो है
दे देना
जी चाहे
जब भी
——————–
राजेश”ललित” शर्मा
१९-३-२०१७