Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Mar 2017 · 2 min read

लघुकथा – मोल

लघुकथा – मोल

अनिल ने सब से पहले ‘चिड़िया-बचाओ’ कार्यक्रम का विरोध किया, “ चिड़ियाँ की हमारे यहाँ कोई उपयोगिता नहीं है. यह अनाज खा कर नुकसान ही करती है. ठीक इसी तरह मक्खी, मच्छर और चूहों भी बेकार है. इन्हें बचाने के लिए हमे कोई प्रयास नहीं करना चाहिए,”

अनिल ने अपना अधुरा ज्ञान बघारा था कि विवेक ने कहा , “ भाई अनिल ! ऐसा मत कहो. प्रकृति में हरेक चीज़ उपयोगी होती है. यदि इन में किसी एक की भी श्रंखला टूट जाए तो बड़ा नुकसान हो जाता है. जिस की हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं.”

“ यह सब कहने की बातें है.”

अनिल की बात का विरोध करते हुए विवेक ने कहा “ ऐसा ही चीन ने सोचा था. चिड़िया बेकार जीव है. उसे नष्ट कर देना चाहिए. यह करोड़ो टन अनाज खा कर बर्बाद कर देती है. इसलिए सभी चिड़िया को मार दिया गया. इस के कारण चीन को बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ा था .”

अनिल इस बात को समझ नहीं पाया, “ चिड़ियाँ के नष्ट होने से भला क्या नुकसान हो सकता है ? मै इस बात को नहीं मानता हूँ ?”

“ चीन के कामरेड नेता ने भी यही सोच था. तब उन्होंने अपने लोगों को चिड़िया को नष्ट करने का आदेश दिया था. परिणाम स्वरूप उस समय १९५८ में सभी चिड़िया को मार दिया गया. इस के कुछ समय बाद ही चीन में अकाल पड़ा. वहां १.५ करोड़ लोग भूख से मर गए. जो बचे उन्हों ने एकदूसरे को मार कर खा लिया. ताकि वे अपने को जिन्दा रख सके .”

“ क्या ! यह कैसे हुआ ?” अनिल चौंका, “ यह असम्भव है. चिड़ियाँ के मरने से अकाल का क्या संबंध हो सकता है ? ”

तब विवेक ने कहा , “ ऐसा हुआ है. सभी चिड़िया को मार देने से सूक्ष्म कीटों की संख्या अचानक तेज़ी से संख्या बढ़ गई. क्यों कि चिड़ियाँ इन्हें खा कर नियंत्रित करती थी. फिर ये अरबोंखरबों कीट जिधर से भी गुजरें उधर के रास्ते में पड़ने वाले खेत की फसल को खा कर नष्ट करने लगे . इस का परिणाम यह हुआ चीन में फसले नष्ट हो गई. अनाज कम पड़ गया. लोग भूख से मरने लगे. तब बचाने के लिए एक दूसरे को खाने लगे. यहाँ तक की बेटा, मातापिता को और मातापिता बेटे को मार कर खा गए. इस से चीन में करोड़ो लोग मारे गए.”

यह सुनते ही अनिल अपनी जगह से उठा , “ तुम ठीक कहते हो अनिल .प्रकृति में हरेक जीव उपयोगी है,” कह कर उस ने पानी का एक कटोरा उठाया और गलियारें में लटका दिया और अपने माथे का पसीना पौछते हुए बोला , “ तब तो पृथ्वी पर चिड़िया का जिन्दा रहना ज्यादा जरूरी है. यह तो पानी से ज्यादा अनमोल है.”
————————
१६/०२/२०१७
ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
पोस्ट ऑफिस के पास
रतनगढ़ – ४५८२२६ (मप्र)
जिला- नीमच (भारत)

Language: Hindi
302 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जुदाई - चंद अशआर
जुदाई - चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
मोर
मोर
Manu Vashistha
नये गीत गायें
नये गीत गायें
Arti Bhadauria
बात उनकी क्या कहूँ...
बात उनकी क्या कहूँ...
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
भीड़ ने भीड़ से पूछा कि यह भीड़ क्यों लगी है? तो भीड़ ने भीड
भीड़ ने भीड़ से पूछा कि यह भीड़ क्यों लगी है? तो भीड़ ने भीड
जय लगन कुमार हैप्पी
एक कहानी है, जो अधूरी है
एक कहानी है, जो अधूरी है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मोहब्बत
मोहब्बत
Shriyansh Gupta
2470.पूर्णिका
2470.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आया खूब निखार
आया खूब निखार
surenderpal vaidya
"मौजूदा दौर" में
*Author प्रणय प्रभात*
गुरुदेव आपका अभिनन्दन
गुरुदेव आपका अभिनन्दन
Pooja Singh
--शेखर सिंह
--शेखर सिंह
शेखर सिंह
रमेशराज की जनकछन्द में तेवरियाँ
रमेशराज की जनकछन्द में तेवरियाँ
कवि रमेशराज
सिलसिला
सिलसिला
Ramswaroop Dinkar
नाथ मुझे अपनाइए,तुम ही प्राण आधार
नाथ मुझे अपनाइए,तुम ही प्राण आधार
कृष्णकांत गुर्जर
वो एक ही शख्स दिल से उतरता नहीं
वो एक ही शख्स दिल से उतरता नहीं
श्याम सिंह बिष्ट
मुस्कुराओ तो सही
मुस्कुराओ तो सही
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"साहस का पैमाना"
Dr. Kishan tandon kranti
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
सेर (शृंगार)
सेर (शृंगार)
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
सुरक्षा
सुरक्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अलगौझा
अलगौझा
भवानी सिंह धानका "भूधर"
शिक्षा बिना जीवन है अधूरा
शिक्षा बिना जीवन है अधूरा
gurudeenverma198
ससुराल का परिचय
ससुराल का परिचय
Seema gupta,Alwar
कर्जा
कर्जा
RAKESH RAKESH
लिखना चाहूँ  अपनी बातें ,  कोई नहीं इसको पढ़ता है ! बातें कह
लिखना चाहूँ अपनी बातें , कोई नहीं इसको पढ़ता है ! बातें कह
DrLakshman Jha Parimal
इश्क का रंग मेहंदी की तरह होता है धीरे - धीरे दिल और दिमाग प
इश्क का रंग मेहंदी की तरह होता है धीरे - धीरे दिल और दिमाग प
Rj Anand Prajapati
खैरात में मिली
खैरात में मिली
हिमांशु Kulshrestha
पश्चिम हावी हो गया,
पश्चिम हावी हो गया,
sushil sarna
Loading...