Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Oct 2020 · 1 min read

लंकादहन

लंका दहन
**********
सच ये नहीं कि
सीता जी से मिलने के बाद
हनुमान जी भूखे थे,
दरअसल वे रावण से
मिलने के लिये सूख रहे थे।
अशोक वाटिका में जाना
फल कम खाना
उत्पात ज्यादा मचाना
उनकी बेचैनी थी,
रावण से मिलने की
उन्हें बड़ी जल्दी थी।
राक्षसों और अक्षय कुमार का वध
तो बस नमूना था,
असल मकसद तो
रावण तक पहुंचना था।
तभी तो मेघनाद के
ब्रह्मफांस में
आसानी से बंध गये,
और रावण से मिलने पर
मन ही मन बहुत खुश हुए।
रावण को समझाना भी
मात्र बहाना था,
असल मकसद तो
रावण को भड़काना था,
अपनी ताकत का भान कराना था।
आखिरकार रावण भड़क ही गया,
उनकी पूँछ में
आग लगाने का आदेश दे गया,
हनुमान को तो जैसे
राम की महिमा दिखाने
सुगम मार्ग मिल गया।
वे बड़े प्यार से अपनी पूँछ बढ़ाते गये
पूँछ में केरोसिन से भीगे कपड़ें
लिपटवाते गये,
मंद मंद रावण की मूर्खता पर
मुस्कराते रहे।
फिर तो वे उड़े कि उड़ते ही रहे
लंका के कोने कोने में
आग लगाते फिरते रहे।
विभीषण के घर को छोड़
सबकुछ जला डाला,
फिर समुद्र में कुछ
अपनी पूँछ की आग को बुझा डाला।
उनका मकसद पूरा हो गया
सीता जी को भी अब विश्वास हो गया,
उन्हें भी जल्द मुक्ति का आभास हो गया,
रावण के क्रोध का तापमान बढ़ गया,
मगर अंदर ही अंदर
अपनी मृत्यु के निकट होने का
अहसास भी हो गया।
ये है रावण के लंका
दहन की कहानी,
जिसे दुनिया जानती है जुबानी।
? सुधीर श्रीवास्तव

Language: Hindi
2 Likes · 333 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बसहा चलल आब संसद भवन
बसहा चलल आब संसद भवन
मनोज कर्ण
★HAPPY BIRTHDAY SHIVANSH BHAI★
★HAPPY BIRTHDAY SHIVANSH BHAI★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
कवि दीपक बवेजा
पर्यावरण संरक्षण*
पर्यावरण संरक्षण*
Madhu Shah
जीवन छोटा सा कविता
जीवन छोटा सा कविता
कार्तिक नितिन शर्मा
शिवाजी
शिवाजी
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
विद्या देती है विनय, शुद्ध  सुघर व्यवहार ।
विद्या देती है विनय, शुद्ध सुघर व्यवहार ।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
उनकी ख्यालों की बारिश का भी,
उनकी ख्यालों की बारिश का भी,
manjula chauhan
" एक बार फिर से तूं आजा "
Aarti sirsat
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
Sandeep Kumar
राह मे मुसाफिर तो हजार मिलते है!
राह मे मुसाफिर तो हजार मिलते है!
Bodhisatva kastooriya
जिस तरह
जिस तरह
ओंकार मिश्र
जीवन एक और रिश्ते अनेक क्यों ना रिश्तों को स्नेह और सम्मान क
जीवन एक और रिश्ते अनेक क्यों ना रिश्तों को स्नेह और सम्मान क
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
कोई चोर है...
कोई चोर है...
Srishty Bansal
प्रकाश एवं तिमिर
प्रकाश एवं तिमिर
Pt. Brajesh Kumar Nayak
05/05/2024
05/05/2024
Satyaveer vaishnav
प्रबुद्ध लोग -
प्रबुद्ध लोग -
Raju Gajbhiye
रिश्ते के सफर जिस व्यवहार, नियत और सीरत रखोगे मुझसे
रिश्ते के सफर जिस व्यवहार, नियत और सीरत रखोगे मुझसे
पूर्वार्थ
बाबू जी की याद बहुत ही आती है
बाबू जी की याद बहुत ही आती है
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
*बांहों की हिरासत का हकदार है समझा*
*बांहों की हिरासत का हकदार है समझा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Whenever things got rough, instinct led me to head home,
Whenever things got rough, instinct led me to head home,
Manisha Manjari
😊😊😊
😊😊😊
*प्रणय प्रभात*
जल रहें हैं, जल पड़ेंगे और जल - जल   के जलेंगे
जल रहें हैं, जल पड़ेंगे और जल - जल के जलेंगे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
आज इस देश का मंजर बदल गया यारों ।
आज इस देश का मंजर बदल गया यारों ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
एक भ्रम जाल है
एक भ्रम जाल है
Atul "Krishn"
अब वो मुलाकात कहाँ
अब वो मुलाकात कहाँ
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
संवेदना (वृद्धावस्था)
संवेदना (वृद्धावस्था)
नवीन जोशी 'नवल'
आँखों-आँखों में हुये, सब गुनाह मंजूर।
आँखों-आँखों में हुये, सब गुनाह मंजूर।
Suryakant Dwivedi
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
दुखों से दोस्ती कर लो,
दुखों से दोस्ती कर लो,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...