Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Aug 2021 · 1 min read

रौशनी बाकी रहे

छंट जाये तम दिलों से
रौशनी बाकी रहें
धरा मुस्कराये जी भर के
रौशनी बाकी रहें

द्वन्द न हो अपनो के बींच
रौशनी बाकी रहें
मुहब्बत की पौंध को सींच
रौशनी बाकी रहे

आसमां झूम कर गाये
रौशनी बाकी रहे
आस प्रसून खिले जाये
रौशनी बाकी रहे

~~डॉ मधु त्रिवेदी ~~

Language: Hindi
77 Likes · 1 Comment · 326 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
है कौन वो राजकुमार!
है कौन वो राजकुमार!
Shilpi Singh
" अकाल्पनिक मनोस्थिति "
Dr Meenu Poonia
शेर
शेर
पाण्डेय नवीन 'शर्मा'
Infatuation
Infatuation
Vedha Singh
"चार पैरों वाला मेरा यार"
Lohit Tamta
अधूरी तमन्ना (कविता)
अधूरी तमन्ना (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
ऐसे तो दूर नहीं होगी यह मुश्किल
ऐसे तो दूर नहीं होगी यह मुश्किल
gurudeenverma198
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
Shweta Soni
"लफ्ज़...!!"
Ravi Betulwala
"वे खेलते हैं आग से"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी हास्य कविताएं अरविंद भारद्वाज
मेरी हास्य कविताएं अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
चुनाव
चुनाव
Shashi Mahajan
बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
फेसबुक वाला प्यार
फेसबुक वाला प्यार
के. के. राजीव
फ़िल्मी धुनों पर बने भजनों से लाख दर्ज़े बेहतर हैं वो फ़िल्मी ग
फ़िल्मी धुनों पर बने भजनों से लाख दर्ज़े बेहतर हैं वो फ़िल्मी ग
*प्रणय प्रभात*
मेरा विचार ही व्यक्तित्व है..
मेरा विचार ही व्यक्तित्व है..
Jp yathesht
* कष्ट में *
* कष्ट में *
surenderpal vaidya
सबका अपना दाना - पानी.....!!
सबका अपना दाना - पानी.....!!
पंकज परिंदा
तुम भी जनता मैं भी जनता
तुम भी जनता मैं भी जनता
DR ARUN KUMAR SHASTRI
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
ओसमणी साहू 'ओश'
सुनो जब कोई भूल जाए सारी अच्छाइयों. तो फिर उसके साथ क्या किय
सुनो जब कोई भूल जाए सारी अच्छाइयों. तो फिर उसके साथ क्या किय
shabina. Naaz
जिंदगी का एकाकीपन
जिंदगी का एकाकीपन
मनोज कर्ण
स्त्री
स्त्री
Dinesh Kumar Gangwar
चार दिनों की जिंदगी,
चार दिनों की जिंदगी,
sushil sarna
हमारी आखिरी उम्मीद हम खुद है,
हमारी आखिरी उम्मीद हम खुद है,
शेखर सिंह
ख़ुद से ही छिपा लेता हूं बातें दिल के किसी कोने में,
ख़ुद से ही छिपा लेता हूं बातें दिल के किसी कोने में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ये दुनिया गोल है
ये दुनिया गोल है
Megha saroj
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे
पूर्वार्थ
*धन्य करें इस जीवन को हम, परहित हर क्षण जिया करें (गीत)*
*धन्य करें इस जीवन को हम, परहित हर क्षण जिया करें (गीत)*
Ravi Prakash
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Loading...