रौशनी बाकी रहे
छंट जाये तम दिलों से
रौशनी बाकी रहें
धरा मुस्कराये जी भर के
रौशनी बाकी रहें
द्वन्द न हो अपनो के बींच
रौशनी बाकी रहें
मुहब्बत की पौंध को सींच
रौशनी बाकी रहे
आसमां झूम कर गाये
रौशनी बाकी रहे
आस प्रसून खिले जाये
रौशनी बाकी रहे
~~डॉ मधु त्रिवेदी ~~