रो पड़ता हूं ये सोच-सोच..
रो पड़ता हूं ये सोच-सोच,
किस हाल में जीती होगी तुम
होकर तन्हा, हो होकर हताश,
मेरी याद में होती होगी गुम
सुनो जान न रुठो ऐसे
मैं तो हरपल हूं पास तेरे
आंखें मूंदो, महसूस करो
तेरे हांथों में हैं हाथ मेरे
ना दूर तू मुझसे जाएगी
ना दूर तुझे जाने दूंगा
गर मौत भी लेने आयेगी
तो तुझे बाहों में छुपा लूंगा