रोशनी का पेड़
रोशनी का पेड़ – ( 5 of 25)
हृदय की ज़मी थी , आंसू की नमी थी
उगा दुख की रात में , रोशनी का पेड़…
ख्वाब जिनकी आँख थे , पंख जिनके हौसले
देने उजाला उनको उगा , रोशनी का पेड़…
जब अंधेरा छाया , ड़र ने बड़ा डराया
पत्थरों को चीर उगा , रोशनी का पेड़…
फिर से झिलमिला उठे , ख्वाहिशों के घोंसले
नेक इरादों से उगा , रोशनी का पेड़….
बादालों से झांकता , चांद उसको ताकता
मुस्कुरा दिया जो उगा , रोशनी का पेड़…
दिन ढ़ले रात आई , धूप खिली बदली छाई
मौसम भी हारा जो उगा , रोशनी का पेड़….
खुशीयों के गुल खिले , सुकून की छाया मिले
सच्चे दिलों की मनन्तें हैं , रोशनी का पेड़…
– क्षमा ऊर्मिला