रोटी के नाम पर
————————–
हर शहर बदहवास है रोटी के नाम पर.
हर गाँव भी हताश है रोटी के नाम पर.
तदबीर ने न पूछो कितना बहाया पसीना.
तकदीर पर उदास है रोटी के नाम पर.
कहते हैं देश में भरा सिम-सिम का खजाना.
बन जाते चाँद, सूरज रोटी के नाम पर.
रुक जाए जो गाड़ी तो विकास रुक जायगा.
डीजल में फूंकें वजूद क्यों रोटी के नाम पर.
उसने लिखे लबों की रुखसार की कहानी.
तुम तो गजल लिखो हाँ रोटी के नाम पर.
कंधे पे रख के हाथ वक्त बात कर रहा.
झटक लेगा किन्तु,हाथ यह रोटी के नाम पर.
माना कि अमन चाहने वाले हैं आप एक.
पर,अब तो ओठ खोलिए रोटी के नाम पर.
भूख कि फितरत है दुश्मन कि तरह बंद.
क्या-क्या न तोड़-फोड़ दे रोटी के नाम पर.
उठती हुई उम्र हो तिस पर हाय! गरीबी.
अस्मत खरीदा जायगा रोटी के नाम पर.
तवायफों के कोठे से नफरत न कीजिये.
सौदा हुआ है जिस्म का रोटी के नाम पर.
जैसे कि युद्ध,प्रेम में कहते हैं जायज सब.
सब माफ़ हो वैसे ही रोटी के नाम पर.
——————————————-