रोग ने कितना अकेला कर दिया
रोग ने कितना अकेला कर दिया
आदमी को बेसहारा कर दिया
यूँ लगा ग़म के अँधेरों में हमें
आपने जैसे उजाला कर दिया
अब हमें कोई भी फल इसका मिले
हमने अपना काम पूरा कर दिया
आपदाओं ने किया नुकसान पर
मर चुका ईमान ज़िंदा कर दिया
हाल इतने भी भयानक थे नहीं
ख़ौफ़ जितना दिल में पैदा कर दिया
रात की खामोशी जब डसने लगी
एक चाहत ने सवेरा कर दिया
‘अर्चना’ के काम आए दोस्त ही
जब भी अपनो ने पराया कर दिया
2-05-2022
डॉ अर्चना गुप्ता